Sunday 4 February 2018

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Wednesday 23 November 2016

Helps her

मैं संजीत कुमार बिहार के मधेपुरा जिला का रहनेवाला हूँ ! मेरा परिवार बहुत ही आर्थिक तंगी की हालत में जी रहा है ! मेरे पिताजी आर्थिक तंगी के कारण मुझे अपने मामा के यहाँ पढ़ने के लिये भेज दिये ! मै अपने आठ भाई - बहनों ( पाँच बहन और तीन भाई ) में 5वें  स्थान पर हूँ ! मै इधर पढ़ने के लिये मामा के यहाँ आया और उधर मेरी माँ का तबियत बराबर खराब रहता था ! अक्सर मेरे पिताजी मेरी माँ के ईलाज की पीछे परेशान रहा करते थे ! मेरे बड़े भाई सभी मौसम में सभी प्रकार के छोटे - मोटे धँधा कर किसी प्रकार इतने बड़े परिवार कॊ चलाते थे ! गरीबी क्या होती है इसे मैंने तो नजदीक से नही देखा किंतु मेरे भाई - बहनों ने खूब देखा है ! एक बार की बात है मेरी माँ अचानक बीमार पड़ी और पिताजी उसे ईलाज के कही से पैसे का इंतजाम कर पूर्णिया ले आये ! उधर घर में खाने के लिये कुछ भी नही था , थी भी तो सिर्फ थोड़ा सा आटा चूल्हे जलाने के लिये जलावन भी नही था , ऐसे हालात में मेरी बहन किसी के यहाँ रोटी बनवाने के लिये गई और बोली भाई कॊ भूख लगी है रोटी बनाने दो तो इसपर वह बोली मेरी तो बनी नही तुझे कहाँ से दूँ बनाने ! उस घड़ी क्या बीती होगी उस भूखी बहन पर ? शायद अंदाजा नही लगाया जा सकता है ! उस समय परिवार के सभी सदस्य छोटे-छोटे थे ! खेती बारी भी थी नही कि उससे जिंदगी चलती , सिर्फ रहने के घर है ! कोई काम पड़ता तो गाँव के लोगों से कर्ज पर पैसे लेने पड़ते है ! मामा के यहाँ पढ़ने - पढ़ते मैंने 2010में मेट्रिक की परीक्षा 75%मार्क्स के साथ पास की , जिससे मेरे मन में एक ऐसी भाव जगी की मुझे लगा की अब मै बहुत ही जल्द छोटी - मोटी नौकरी पकड़ कर माँ - बाप के सारे अरमानों कॊ पूरा करूँगा ! मेरे मन में बहुत सारे अरमान थे ! किंतु ईश्वर कॊ कुछ और ही मंजूर था , जैसे ही मैंने ग्यारहवीं में अड्मिशन कराया ही था कि 8दिसम्बर 2010 कॊ मेरे ऊपर कष्टों का कहर टूट पड़ा ! मै जैसे ही मामा के यहाँ से अपने पैतृक घर पहुँचा तो देखा कि बीमारी से पीरित  मेरी माँ अपनी दैहिक लीला समाप्त कर चुकी थी ! घरों का महौल ही कूछ और था , आठ परिवारों का समूह चीत्कार में डूबी हुई थी , मेरी दो कुंवारी बहन ऐसे रो रही थी, कि अब उसकी शमा बाँधने वाला इस दुनियाँ में कोई बचा ही नही रह गया हो ! किसी तरह अपने आपको सम्भाला और अपनी माँ का अंतिम संस्कार करने के बाद फ़िर मै अपने मामा के यहाँ पढ़ने चले आया ! समय बीतता गया पिताजी ने हमें कभी भी घर के कष्टों से रूबरू नही कराये , परिवार के ऊपर कर्ज का ब्याज दिन - प्रतिदिन बढ़ता चला गया और 2015 में पहले माँ कि बीमारी का कर्ज और बहन कि शादी के लिये कर्ज लेता चला गया ! दो छोटी बहनों में एक कि शादी किसी प्रकार से कराई  ही थी, कि जिंदगी ने एक बार फिर करवट बदल ली इधर मैंने ग्रेजुयेट कि डिग्री लि ही थी , कि उधर मेरे पिताजी कॊ गले में केँसर कि बीमारी ने घेर लिया ! अब पापा के सामने मौत से लड़ने कि ना तो क्षमता और ना ही अपनी एक बेटी कि शादी की ! दिन - प्रतिदिन एक तरफ़ जहाँ केँसर ने परेशान किया , वही दूसरी तरफ उनकी बेटी की शादी , कर्ज  एवं दो छोटे बेटों के बारे में परेशानियों ने उन्हे घेर ली है ! फिलहाल अभी बेटे - बेटियाँ की चिंता और  जिंदगी - मौत के के बीच जूझ रहे है !
                                          जी हाँ ये किसी फिल्म की स्क्रिप नही है ,बल्कि बिहार के मधेपुरा जिला के लौवालगान के रहने वाले एक गरीब और बड़े परिवार सदानन्द साह की दर्दनाक घटना है ! ऐसे हालत में इस गरीब परिवार के मदद के लिये शायद किसी कॊ ईश्वर ने भेजा हो, इसी के मद्देनजर मैंने इस पोस्ट कॊ सोशल मीडिया पर डाली है !
               इस पोस्ट से यदि किसी के भावनाओ कॊ ठेस पहुँची हो तो , मै उनसे माफी चाहूंगा ! लेकिन अगर इस पोस्ट से उस गरीब परिवार के घरों में खुशहाली आ जाती है तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है ?
                             :- परिवार का मुखिया :-
                                    सदानन्द साह
ग्राम + पोस्ट           :-  लौवालगान
पंचायत                  :- लौवालगान पूर्वी
थाना                      :- चौसा
जिला                     :- मधेपुरा ( बिहार )
मोबाइल न.             :- 8051628777 ( पुत्र )
                              :- 9471865636
                              :- 7209305440

   लेखनी का उद्देश्य :- मदद के लिये शायद किसी कॊ ऊपर वाला भेजे ! या किसी कि हाथ उस परिवार के ऊपर मदद के लिये आगे बढे !

                  (    धन्यवाद   )